दो दिन शव के साथ रहे बच्चे , बीमार समझ मा से बात तक नहीं की
आकोला/चित्तौडगढ़़। सात साल के चिराग और उसके छोटे भाई को समझ नहीं आ रहा था कि दो दिन से उनकी मां बैठी है और बात नहीं कर रही है। पिता के मना करने की वजह से उन्होंने भी बीमार मां से बात नहीं की। हालांकि वे लगातार पिता से मां के नहीं बोलने को लेकर पूछताछ करते रहे। दो दिन बाद चिराग अपने दादा के पास दूघ लेने गया और मां के बारे में पूछताछ करने पर संदेह हुआ और सारा मामला सामने आ गया। काम-धंधा करने को लेकर टोकना चोरवड़ी गांव के युवक नरेश मेनारिया को इतना नागवार गुजरा कि उसने गला दबाकर पत्नी विद्या की जान ही ले ली। पत्नी की हत्या के बाद शव को कमरे के ही एक कोने में बैठी हुई मुद्रा में रखकर ढंक दिया।
दो दिन तक एक ही कमरे में रहने के बाद भी दोनों बेटे इस बात से बेखबर थे कि उनकी मां इस दुनिया में नहीं है। वे बिस्तरों में ढंके मां के शव को बीमार समझते रहे। शंका होने पर चिराग के दादा व चाचा उसके घर पहुंचे, तो आरोपी ने उन पर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। पुलिस मौके पर पहुंची तो हत्या का राज खुल गया।
कपासन पुलिस उप अधीक्षक ने बताया कि नरेश ने पत्नी विद्या (28) की गुरुवार को कपड़े से गला दबाकर हत्या कर दी और शव को कमरे के ही एक कोने में बैठी हुई मुद्रा में रखकर उसे कपड़े से ढंक दिया, ताकि बच्चों को कुछ पता नहीं चले।
पुलिस पूछताछ में नरेश ने हत्या करना स्वीकार कर लिया। आरोपी ने पुलिस को बताया कि विद्या उस पर काम-धंधा करने का दबाव बनाती थी। परेशान होकर उसने उसका गला दबा डाला। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस को बताया कि नरेश ने विद्या से प्रेम विवाह किया था।
बच्चों से बोला, बीमार है इसलिए तुम्हारी मां सो रही है
शुक्रवार सुबह नरेश अपने पिता चुन्नीलाल के घर से दूध लाया और गर्म कर बच्चों को पिला दिया। बाद में उसने खाना बनाकर खिलाया। बच्चों ने दिन में कई बार मां के लिए पूछा तो नरेश ने कहा कि उनकी मां सो रही है।
शुक्रवार रात नरेश ने बच्चों को पढ़ाई कराने के बाद सुला दिया। लोगों ने बताया कि विद्या मजदूरी करती थी। नरेश काम-धाम नहीं करता था। करीब पांच-छह दिन पहले विद्या ने 500 रुपए की व्यवस्था कर नरेश को दिए थे कि वह अपने लिए बाहर जाकर नौकरी की तलाश करे।
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