टिकट की दोड़ मे नेताओं की जोर अजमाईश  जारी



 मांडलगढ़ ! {महेंद्र बाबेल } ग्रामीण चौपाल पर आम जन कर रहे अपनी राय शुमारी। माडलगढ़ विधान सभा का चुनाव 2018मे दस माह पहले हुए उप चुनाव से ज्यादा यह चुनाव रोचक होने की सम्भावना लग रही है।मांडलगढ सीट से़ कांग्रेस के लिएे मुगेरी लाल के सपने सपने ही न रह जाए। टिकट वितरण मे थोड़ी सी भी गफलत   सपने चकनाचूर कर सकती है। यह दोनों पार्टियों के लिए निर्णायक विषय है।  सता विरोधी लहर का भी भाजपा को यहां सामना करना पड़ेगा।लेकिन प्रत्याक्षी चयन का निर्णय सामने आने पर भाजपा एवं कांग्रेस पार्टी के प्रति मतदातांओं की नब्ज टटोली जा सकेगी।गांव की चौपाल  पर लोग कह रहे है वर्तमान स्थिति मे विधायक  विवेक धाकड का न्यून कार्यकाल  एवं सत्ता मे नहीं होने से लोगो के लिए   विशेष नही कर पाएहै। पूर्व की भाँति केवल सामाजिक कार्य मे जुटे रहे।
आमजन  के मुंह से सुना गया उप चुनाव मे रहे भाजपा प्रत्याशी शक्ति सिंह हाडा ने हार के बाद भी गाँव गाँव तक लोगो से सम्पर्क बनाए रख कर पहचान कायम रखी।   ऐसा लगता है कि यदि दोनों पार्टी इन दोनों को चुनावी समर मे उतारती है तो निर्दलीय एवं बागी दोनों के लिए  जीत को आसान नही होने देगे। क्षेत्र के प्रत्याक्षी के दावेदार के रूप मे गोपाल मालवीय  की भी अपनी पहचान है।  भाजपा से बदरी प्रसाद गुरूजी भी टिकट की कतार मे है।  भगवान सिंह का भी नाम उभर कर सामने आया है।  लेकिन    राज योग किसके भाग्य मे है।अभी कह नही सकते है।यह तो राम ही जाने। माडंलगढ़ की यह सीट दोनों पार्टीयो के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है। विदित रहे उप चुनाव मे इस सीट को भाजपा ने अपनी झोली  मे लेने के लिए काफी प्रयास किए।राज्य के मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के दौरे हुए।परिणाम निष्फल  रहा। आगे किसके सीर जीत का सहरा बंधेगा ।यह समय हीबताएगा। वर्तमान मे टिकट वितरण पर संशय बना हुआ है। नये चेहरे सामने आते है या पुराने को ही टिकट मिलता है। या फिर से त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनती है।अन्य भी टिकट के दावेदार बने हुए है। लेकिन वस्तु स्थिति पार्टी प्रत्याशी की घोषणा के बाद ही चलेगी।दोनों पार्टी मे अन्तर द्वन्द  जारी है।

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