एनएसयूआई, एबीवीपी सहित निर्दलीय उम्मीदवार अपनी जीत के प्रति आश्वस्त
केकड़ी_अजमेर (तिलक माथुर )राजकीय महाविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव के लिए आज शुक्रवार को हुए मतदान में 1304 मतदाताओं में से 935 मतदाताओं ने मतदान किया। कुल मतदान 71.70 प्रतिशत रहा। तीनों उम्मीदवारों का भाग्य मत पेटियों में कैद हो गया जो अब 11 सितंबर को ही मतगणना के दिन खुलेगा। मतदान को लेकर कॉलेज में आज सुबह से ही चहल पहल नजर आई। यहां मतदान केंद्र पर कॉलेज प्रशासन मुस्तेद नजर आया वहीं पुलिस की माकूल व्यवस्था थी। मतदान शांतिपूर्वक होने से पुलिस व कॉलेज प्रशासन ने राहत की सांस ली। मतदान को लेकर एनएसयूआई, एबीवीपी व निर्दलीय उम्मीदवार के समर्थकों में उत्साह नजर आया। तीनों ही उम्मीदवार अपने समर्थकों के साथ मतदान केंद्र पर मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान कराने में मुस्तेदी से व्यस्त नजर आए। तीनों ओर से मतदाताओं की बाड़ेबंदी की गई थी जिन्हें आज प्रातः वाहनों से मतदान केंद्र तक लाया गया। राजनीति की पाठशाला में दूसरी कक्षा की इस परीक्षा में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव व सयुंक्त सचिव पद के लिए 13 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। सर्वविदित है कि राजनीति की पहली पाठशाला घर परिवार से शुरू होती है जिसमें माँ-बाप गुरु होते हैं। घर परिवार से राजनीति की शुरुआत होती है जो निकाय,पंचायत, विधानसभा व लोकसभा चुनाव तक चलती है। उल्लेखनीय है कि छात्रसंघ अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में एनएसयूआई उम्मीदवार हंसराज गुर्जर, एबीवीपी उम्मीदवार रोहित जांगिड़ व निर्दलीय उम्मीदवार अशोक सिंघाड़िया तीनों उम्मीदवार अपनी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिखाई दिए बस उन्हें डर है तो बस भितरघात का। मतदान के बाद उम्मीदवार व उनके समर्थक अलग अलग तरह के कयास लगा रहे हैं। कयासों के दौर के बीच एनएसयूआई उम्मीदवार हंसराज गुर्जर व उनके समर्थकों का मानना है कि उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार अशोक सिंघाड़िया से कोई नुकसान होने वाला नहीं जबकि राजनीति जानकारों का मानना है कि निर्दलीय उम्मीदवार अशोक के चुनाव मैदान में उतरने से एनएसयूआई समर्थक मतदाता बंट गए हैं क्योंकि अशोक ने एनएसयूआई से टिकट मांगा था लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया जिससे नाराज होकर उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में ताल ठोक दी। माना जा रहा है कि वे एनएसयूआई उम्मीदवार हंसराज को नुकसान पहुंचा सकते हैं ऐसे में एबीवीपी उम्मीदवार रोहित को फायदा हो सकता है। हालांकि तीनों के बीच कड़ा संघर्ष होने की वजह से स्थिति स्पष्ट नहीं है इसलिए मतगणना से पूर्व कुछ भी कहना सम्भव नहीं है। ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है चुनाव परिणाम चोंकाने वाले भी हो सकते हैं। यह चुनाव राजस्थान में तीन माह बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव की वजह से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यही वजह है कि भाजपा व कांग्रेस के क्षेत्रीय मुखिया छात्र संघ के इस चुनाव पर निगाह जमाये हुए थे वहीं कुछ जिम्मेदार कार्यकर्ताओं को इस चुनाव में छात्र नेताओं की मदद के लिए लगा रखा था। हालांकि भाजपा व कांग्रेस के दोनों मुखिया इस चुनाव के दौरान खुलकर सामने नहीं आये मगर अंदर ही अंदर रणनीति के अनुसार दिशा निर्देश दे रहे थे वहीं कार्यकर्ताओं से फीडबैक ले रहे थे। छात्र संघ चुनाव में तीन सालों से लगातार जीत के चलते यह चुनाव एबीवीपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था वहीं एनएसयूआई के लिए चुनौती ! खैर जो भी हो उम्मीदवारों का भाग्य मतपेटियों में बंद है जो 11 सितंबर को ही परिणाम उगलेगा। फिलहाल उम्मीदवार व उनके समर्थक चुनाव की थकान उतार. रहे है
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